Tata Motors EV Sale,Tesla की एंट्री से पहले टाटा मोटर्स का खास ऑफर, किसे मिलेगा 50,000 रुपये का फायदा? - ahead of tesla's entry tata motors announces special benefits for buyers
Tesla की एंट्री से पहले टाटा मोटर्स का खास ऑफर, किसे मिलेगा 50,000 रुपये का फायदा?
Curated byदिल प्रकाश | नवभारतटाइम्स.कॉम20 Feb 2025, 4:42 pm
Subscribe
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार एलन मस्क की कंपनी टेस्ला भारत में एंट्री मारने की तैयारी में है। इससे देश के ईवी मार्केट में हलचल तेज हो गई है। टाटा मोटर्स अपनी ईवी पर खास ऑफर दे रही है। कंपनी ने देश में 2 लाख गाड़ियां बेचने की उपलब्धि हासिल की है।
हाइलाइट्स
अपने ग्राहकों के लिए खास ऑफर लेकर आई टाटा मोटर्स
टाटा मोटर्स देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी है
कंपनी ने 2 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक गाड़ियां बेची हैं
टाटा मोटर्स का यह ऑफर 45 दिन के लिए है।
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क की कंपनी टेस्ला के भारत आने की खबरों के बीच टाटा मोटर्स ने अपने ग्राहकों के लिए खास ऑफर्स की घोषणा की है। टाटा मोटर्स देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी है। टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने देश में 2 लाख इलेक्ट्रिक वीकल बेचने का बड़ा मुकाम हासिल किया है। यह उपलब्धि हासिल करने की खुशी में कंपनी अगले 45 दिनों तक ये ऑफर्स दे रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टेस्ला अप्रैल 2025 में भारत में एंट्री कर सकती है। कंपनी जर्मनी से कारें आयात करेगी जिनकी शुरुआती कीमत 21 लाख रुपये होगी। कंपनी की मुंबई और दिल्ली में शोरूम खोलने की योजना है और इसके लिए उसने भारत में भर्तियां भी शुरू कर दी हैं।टाटा मोटर्स अभी भारत में 5 इलेक्ट्रिक मॉडल बेचती है। इनमें Tiago EV, Tigor EV, Punch EV, Nexon EV, और Curvv EV शामिल हैं। इनकी कीमत 7.99 लाख रुपये से शुरू होती है। टाटा मोटर्स अभी भारत में सबसे ज्यादा ईवी बेचने वाली कंपनी है। साल 2024 में कंपनी ने 61,496 ईवी बेची जबकि 2023 में यह संख्या 60,100 थी। हालांकि भारतीय बाजार में कंपनी का मार्केट शेयर 73% से घटकर 62% रह गया है। हाल में संपन्न भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में कंपनी ने अपने आने वाले मॉडल्स भी दिखाए। इनमें Harrier EV और Sierra EV शामिल हैं। ये दोनों कारें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होंगी।
टाटा मोटर्स के खास ऑफर्स में 50,000 रुपये तक का एक्सचेंज बोनस शामिल है। साथ ही, आकर्षक फाइनेंसिंग स्कीम भी हैं, जिनमें बिना किसी डाउन पेमेंट के 100% ऑन-रोड फंडिंग मिल सकती है। Curvv EV या Nexon EV खरीदने वाले ग्राहकों को टाटा पावर के चार्जिंग नेटवर्क का छह महीने का मुफ्त एक्सेस और घर पर 7.2 kW AC चार्जर की मुफ्त इंस्टॉलेशन मिलेगी। टाटा के पुराने ग्राहकों के लिए भी लॉयल्टी रिवॉर्ड्स हैं।
साथ ही जो ग्राहक अपनी पुरानी टाटा EV को Nexon EV या Curvv EV से बदलना चाहते हैं, उन्हें 50,000 रुपये का लॉयल्टी बोनस मिलेगा। टाटा की पेट्रोल-डीजल कार वाले ग्राहक अगर EV खरीदते हैं तो उन्हें 20,000 रुपये का लॉयल्टी बोनस मिलेगा। इन ऑफर्स के जरिए टाटा मोटर्स तेजी से बढ़ते EV मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। कंपनी ज्यादा से ज्यादा लोगों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
दिल प्रकाश नवभारतटाइम्स.कॉम में असिस्टेंट न्यूज एडिटर हैं। उन्हें पत्रकारिता में 17 साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत साल 2006 में यूनीवार्ता से की थी। शुरुआत में खेल डेस्क के लिए काम किया। इस दौरान राष्ट्रमंडल खेल (2010), हॉकी वर्ल्ड कप, आईपीएल और वनडे वर्ल्ड कप (2011) को कवर किया। फिर नेशनल ब्यूरो से जुड़े और पार्लियामेंट से लेकर राजनीति, डिफेंस और पर्यावरण जैसे कई विषयों पर रिपोर्टिंग की। इस दौरान तीन साल तक बीबीसी में भी आउटसाइड कंट्रीब्यूटर रहे। यूनीवार्ता में दस साल तक काम करने के बाद साल 2016 में बिजनस स्टैंडर्ड से जुड़े। फरवरी 2020 में ऑनलाइन का रुख किया।... और पढ़ें
अगला लेख
Businessकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
दिल्ली: सीएम रेस में बाज़ी पलटने वालीं रेखा गुप्ता के सामने क्या हैं बड़ी चुनौतियां
इमेज स्रोत, ANI
....में
Author, दीपक मंडल और आनंद मणि त्रिपाठी
पदनाम, बीबीसी संवाददाता
रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गई हैं. उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बुधवार को उन्हें भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल का नेता चुना गया था.
रेखा गुप्ता के सामने दिल्ली में एक मज़बूत विपक्ष भी होगा और देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली पर दुनियाभर की नज़रें होती हैं. ऐसे में विश्लेषकों का कहना है कि रेखा गुप्ता के लिए दिल्ली का ताज आसान नहीं होगा.
उनके सामने पार्टी के अंदर और बाहर दोनों मोर्चों पर चुनौतियां होंगीं. दिल्ली में बेहतर प्रशासन और चुनाव के दौरान किए गए बीजेपी के वादे को भी पूरा करने की चुनौती होगी.
ख़ास बात यह भी है कि आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का जन्म जिस दिल्ली में हुआ है, वहां वह पहली बार विपक्ष में आई है, इसलिए रेखा गुप्ता के सामने चुनौतियाँ ज़्यादा बड़ी हो सकती हैं.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
इमेज स्रोत, ANI
रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं. उनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं.
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को क़रीब 30 हज़ार वोट से हराया था.
चुनाव के बाद दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता अजय महावर और रेखा गुप्ता समेत पार्टी को कुछ और वरिष्ठ नेताओं का नाम चल रहा था.
लेकिन आखिरकार इस रेस में रेखा गुप्ता को जीत मिली.
रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा की हैं. वो वैश्य समुदाय से आती हैं और ये दो पहलू भी उनके पक्ष में गए.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हेमंत अत्री कहते हैं, ''बीजेपी ने एक वार से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की राजनीति को एक घेरे में बांध दिया है. वो हरियाणा की पृष्ठभूमि लेकर वैश्य वर्ग को आकर्षित कर रहे थे. बीजेपी ने उसे पलट दिया है.''
हरियाणा ने देश की राजधानी दिल्ली को तीसरा मुख्यमंत्री दिया है. पहली सुषमा स्वराज थीं. दूसरे अरविंद केजरीवाल और अब जींद ज़िले के जुलाना क्षेत्र के नंदगढ़ गांव की रहने वाली रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बन गई हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए प्रवेश वर्मा का नाम सबसे ज़ोर-शोर से चल रहा था. आख़िर वो कहां पिछड़ गए?
इस सवाल के जवाब में हेमंत अत्री ने कहा,'' प्रवेश वर्मा का बड़बोलापन, महत्वाकांक्षा और विवादित बयानबाज़ी उन पर भारी पड़ी. मुसलमानों के ख़िलाफ़ बयान भी उनके पक्ष में नहीं गया. वहीं रेखा गुप्ता का आरएसएस से लंबा जुड़ाव और एबीवीपी की पृष्ठभूमि ने उनका बखूबी साथ दिया. अंतिम समय पर संघ की पैरवी ने सारा खेल ही रेखा के पक्ष में पलट दिया.''
अत्री कहते हैं, ''ब्राह्मणों और वैश्यों को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. दिल्ली में करीब सात फीसदी वैश्य हैं. रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर वैश्य वोटों को अरविंद केजरीवाल से छिटकाने का भी काम किया गया है.''
इमेज स्रोत, Rekha Gupta
इमेज कैप्शन, रेखा गुप्ता (बाएं) के दिल्ली यूनिवर्सिटी में कॉलेज के दिनों की इस तस्वीर में उनके साथ अलका लांबा भी नज़र आ रही हैं.
हफ़्ते की सबसे बड़ी न्यूज़ स्टोरी पर चर्चा: मुकेश शर्मा के साथ.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री बना कर महिला वोटरों को ये संदेश देना चाहती है कि वो उनके हित में काम करेंगीं.
देश के 20 राज्यों में एनडीए शासन में है लेकिन किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं थी.
दिल्ली में जीत के साथ एनडीए का शासन 21वें राज्य तक पहुंच गया.
विश्लेषकों का कहना है कि रेखा गुप्ता का दिल्ली का सीएम बनना बीजेपी की राज्यों में जातीय समीकरण बनाने की रणनीति का भी हिस्सा है.
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अनंत मिश्रा बताते हैं, ''बीजेपी ने एक तीर से तीन निशाने लगाए हैं. बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर महिला, वैश्य समुदाय और संघ को भी साधने का प्रयास किया है. बिहार और पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी कहीं न कहीं महिलाओं को साधने के लिए इनका उपयोग करेगी.''
वो कहते हैं, ''बीजेपी ने इससे देश में जातीय समीकरण में संतुलन और हर वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. राजस्थान और महाराष्ट्र में ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में क्षत्रिय मुख्यमंत्री का शासन है."
"मध्यप्रदेश और हरियाणा में अन्य पिछड़े वर्ग से आने वाले मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. वहीं ओडिशा और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग से बनाए गए हैं. ऐसे में वैश्य वर्ग से महिला मुख्यमंत्री बनाकर सबका साथ लेकर चलने की मंशा दिखाई गई है.''
इमेज कैप्शन, प्रवेश वर्मा को मिठाई खिलातीं रेखा गुप्ता
क्या रेखा गुप्ता को पार्टी में गुटबाजी का सामना करना होगा. क्योंकि पहले भी दिल्ली में बीजेपी की सरकार में गुटबाजी देखने को मिली है. क्या वो एलजी के साथ तालमेल बिठाकर चल पाएंगीं?
इस सवाल पर हेमंत अत्री कहते हैं, ''बीजेपी के शासन में अब एलजी चुनौती नहीं खड़ी करेंगे. कैबिनेट के हर मामले को वह आराम से आगे बढ़ा देंगे. वहीं अरविंद केजरीवाल को व्यक्तिगत रूप से हमलावर होने से पहले दस बार विचार करना होगा.''
वो कहते हैं, ''रेखा गुप्ता महिला हैं और उसी भूमि और वर्ग से हैं जिससे केजरीवाल आते हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल नीतियों पर आक्रामक रहेंगे और यह आक्रामकता बीजेपी के ख़िलाफ़ होगी न कि रेखा गुप्ता के खिलाफ.''
अनंत मिश्रा कहते हैं कि जिसका प्रचार स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने किया हो और संघ जिसके साथ खड़ा हो, उसके ख़िलाफ़ गुटबाजी बहुत कम ही असर करेगी.
वो कहते हैं, ''दूसरी बात ये कि दिल्ली बीजेपी में कोई बहुत वरिष्ठ नेता नहीं है और जो इस समय नेता हैं वह सभी एक बराबर हैं. रेखा गुप्ता संगठन में भी हैं और पूर्व मेयर का भी अनुभव है. वो 30 साल से सक्रिय राजनीति कर रही हैं. ऐसे में उनका अनुभव गुटबाजी रोककर संतुलन बिठाने के काम आएगा. बीजेपी में यूं भी बगावत कबूल नहीं की जाती है.''
विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के सामने फिलहाल भले ही राजनीतिक चुनौतियां नज़र नहीं आ रही हैं, लेकिन उन्हें राजधानी में बेहतरीन गवर्नेंस देना होगा. देश की राजधानी साफ पानी की कमी, प्रदूषण और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर जूझ रही है.
बीजेपी ने दिल्ली चुनाव के प्रचार अभियानों के दौरान ये दावा किया था कि वो इसे एक विकसित देश की राजधानी बनाकर दिखाएंगे.
साथ ही बीजेपी को दिल्ली के मतदाताओं को किए गए वादे भी पूरा करना होगा. इसमें सबसे अहम महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने और यमुना की सफाई का मुद्दा है. आइए देखते हैं कि रेखा गुप्ता को गवर्नेंस के किन मोर्चों पर जूझना होगा.
इमेज स्रोत, ANI
इमेज कैप्शन, बीजेपी ने दिल्ली में हर महिला को 2500 रुपये देने का वादा किया है
देश में कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों के खाते में सीधे पैसे भेजने का दांव राजनीतिक दलों के लिए मुफ़ीद साबित हुआ है.
हाल के दिनों में महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने का चुनावी वादा सबसे पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी ने किया.
यहां महिलाओं को हर महीने 1200 रुपये देने का वादा किया था और अब इसे बढ़ा कर 3000 रुपये करने की बात की जा रही है.
माना जा रहा है कि शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी को मिली जीत में लाडली बहना योजना के तहत किए गए इस वादे की अहम भूमिका रही.
इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में 'लाडकी बहिन' और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 'मैया सम्मान योजना' के तहत महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने का एलान किया.
इनका असर दिखा. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे) एनसीपी (अजित पवार) और बीजेपी की महायुति और झारखंड में हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन को चुनाव जिताने में इसने अहम भूमिका निभाई.
बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में ऐलान किया था कि उसकी पार्टी सरकार बनी तो वो 8 मार्च तक दिल्ली में महिला समृद्धि योजना के तहत महिला वोटरों को 2500 रुपये की पहली किस्त दे देगी.
अगले कुछ हफ्तों के दौरान रेखा गुप्ता की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये पक्का करना होगा कि महिलाओं तक पैसा सही ढंग से कैसे पहुंचे.
बीजेपी ने यहां गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपये देने का वादा किया था. साथ ही उसने आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने का भी वादा किया था.
इसके लिए उसे दिल्ली में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा. ये देखना दिलचस्प होगा कि 'डबल इंजन' सरकार का वादा कर दिल्ली की सत्ता में आई बीजेपी इन योजनाओं को कितने कारगर ढंग से लागू कर पाती है.
इमेज कैप्शन, यमुना नदी को साफ करना दिल्ली चुनाव का बड़ा मुद्दा रहा है
दिल्ली चुनाव यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने का वादा एक बड़ा मुद्दा था. इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार और बीजेपी के बीच जमकर घमासान हुआ था.
दोनों ने एक-दूसरे पर यमुना की गंदगी का ठीकरा फोड़ा था.
साल 2015 में आम आदमी पार्टी ने कहा था कि उसकी सरकार बनी तो दो साल में यमुना इतनी साफ हो जाएगी कि लोग इसमें डुबकी लगा सकेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने भी यमुना साफ करने का वादा किया है. लेकिन रेखा गुप्ता की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, दिल्ली के औद्योगिक कचरे को यमुना में गिरने से रोकना.
साथ ही गैर मानसून सीजन में इसमें पर्याप्त पानी सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती होगी.
जब आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता में थी तो राज्य की खराब माली हालत पर वित्त विभाग ने कई बार सवाल उठाए थे. चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी सरकार ने नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड से 10 हजार करोड़ रुपये मांगे थे.
वित्त विभाग ने आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी पर गंभीर सवाल खड़े किए थे.
बीजेपी ने वादा किया है कि मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए बस यात्रा सहित आम आदमी सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी जारी रहेगी.
राज्य और केंद्र दोनों जगह अपनी सरकार होने की वजह से दिल्ली सरकार को सहूलियत हो सकती है.
लेकिन रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और फेम स्कीम के तहत नई इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए पैसे का इंतज़ाम बड़ी चुनौती होगी.
इमेज कैप्शन, दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज (फ़ाइल फ़ोटो)
आम आदमी पार्टी सरकार लगातार ये आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार और एलजी का दफ़्तर उसे दिल्ली में शहरी विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम नहीं करने दे रहा है.
वो सड़कों का विकास और कूड़ा निस्तारण के काम को सुचारू बनाने में अड़चन डाल रहा है.
विश्लेषकों का कहना है कि अब दिल्ली में 'डबल इंजन' की सरकार को सड़कों और फ्लाईओवरों की मरम्मत और रखरखाव के लिए खासा खर्च करना पड़ेगा.
बीजेपी नेताओं का कहना था कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो दिल्ली किसी विकसित देश की राजधानी के तौर पर दिखेगी.
इमेज स्रोत, Sanjeev Verma/Hindustan Times via Getty Images
इमेज कैप्शन, क्या बीजेपी सरकार दिल्ली को वायु प्रदूषण से मुक्ति दिला पाएगी?
दिल्ली की हवा दिनोंदिन ख़राब होती जा रही है. बढ़ते प्रदूषण की वजह से अक्सर ठंड के दिनों में दिल्ली की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच जाती है.
प्रदूषण की वजह से दिल्ली में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति पैदा हो जाती. स्कूल बंद कर दिए जाते हैं और लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी जाती है.
राजधानी दिल्ली को, यहां रहने वाले लोगों के लिए 'गैस चैंबर' बताया जाता है.
सवाल ये है कि क्या रेखा गुप्ता की सरकार दिल्ली को बढ़ते प्रदूषण से मुक्ति दिला पाएंगीं?
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित