Aurangzeb Controversy: औरंगजेब का वो आखिरी खत जो खोल देगा महिमामंडन करने वालों का दिमाग, आप भी पढ़िये
Aurangzeb Controversy: औरंगजेब का वो आखिरी खत जिसका जिक्र इतिहास की किताबों में हुआ है वह औरंगजेब के पापों की कहानी खुद कहता है. विवादास्पद मुगल शासक मृत्यु से पहले पछतावे में अपने किये गुनाहों का जिक्र किया है. राम कुमार वर्मा की लिखी किताब 'औरंगजेब की आखिरी रात' के खत का मजमून आगे दिया गया है.

औरंगजेब के जुल्म को दर्शाती तस्वीर (प्रतीकात्मक)
हाइलाइट्स
- अबू आजमी के औरंगज़ेब महिमामंडन पर विवाद बढ़ा.
- औरंगज़ेब ने गैर-मुसलमानों पर जज़िया कर लगाया.
- औरंगज़ेब ने मरने से पहले अपने पापों का जिक्र किया.
पटना. देश की राजनीति में मुगल शासक औरंगजेब चर्चा में है और समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के इसके महिमामंडन करने की कोशिश को लेकर विवाद बढ़ गया है. इतिहास के पन्नों में देखें तो विवादास्पद मुगल शासकों में सबसे बड़ा नाम औरंगजेब का है. औरंगजेब ने गैर-मुसलमानों पर जजिया कर जैसी भेदभावपूर्ण नीतियां लागू कीं. औरंगजेब ने सिखों के गुरु तेग बहादुर का सिर कलम करवा दिया था. उसने गुरु गोविंद सिंह के बेटों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया, वहीं संभाजी महाराज की आंखें फोड़ दीं और नाखून उखाड़ लिए. इसके शासन काल में भारत में शरियत के आधार पर फतवा-ए-आलमगीरी लागू किया और बड़ी संख्या में हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया. काशी और सोमनाथ मंदिरों को नष्ट करवाया और लाखों हिंदुओं की हत्या करवाई. इसकी क्रूरता के कारण करीब-करीब पूरे भारतीय उपमहादीप में मुगल साम्राज्य अपना सबसे ज्यादा विस्तार कर पाया. औरंगजेब की मृत्यु 1707 ईस्वी में हुई थी. कहा जाता है कि मौत से पहले इसको अपने किये गुनाहों पर पछतावा था और औरंगजेब ने अपने बेटों, आजम शाह और काम बख्श को अपने खेद व्यक्त करने के लिए पत्र लिखे थे. इन पत्रों में उसने अपने पापों और असफलताओं के बारे में जिक्र किया.
औरंगजेब ने अपने आखिरी पत्र में लिखा जो लिखा वह उसके पछतावे की कहानी कहता है. औरंगजेब ने मरने से पहले अपने बेटों को लिखी एक चिट्ठी में अपने पापों का जिक्र किया था. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि उन्होंने लोगों का भला नहीं किया और उनका जीवन निरर्थक बीत गया. उन्होंने यह भी लिखा था कि उन्हें अपने पापों का परिणाम भुगतना होगा.
राम कुमार वर्मा की लिखी किताब ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ में औरंगजेब के खत का मजमून कुछ यूं जिक्र किया गया है. ”अब मैं बूढ़ा और दुर्बल हो गया हूं.मैं नहीं जानता मैं कौन हूं और इस संसार में क्यों आया. मैंने लोगों का भला नहीं किया, मेरा जीवन ऐसे ही निरर्थक बीत गया. भविष्य को लेकर मुझे कोई उम्मीद नहीं है, मेरा बुखार अब उतर गया है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि शरीर पर केवल चमड़ी हो. दुनिया में कुछ लेकर नहीं आया था, लेकिन अब पापों का भारी बोझ लेकर जा रहा हूं. मैं नहीं जानता कि अल्लाह मुझे क्या सजा देगा, मैंने लोगों को जितने भी दुख दिए हैं, वो हर पाप जो मुझसे हुआ है उसका परिणाम मुझे भुगतना होगा. बुराईयों में डूबा हुआ गुनाहगार हूं मैं.”
बता दें कि औरंगजेब के पिता शाहजहां थे. औरंगजेब ने अपने पिता पर भी काफी जुल्म किये थे. औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद करके रखा और उन्हें पानी के लिए तरसाया था. शाहजहां ने अपनी आत्मकथा ‘शाहजहांनामा’ में औरंगजेब के लिए बहुत कठोर शब्दों का प्रयोग किया था. शाहजहां ने लिखा कि खुदा करे कि ऐसी औलाद किसी के यहां पैदा ना हो. शाहजहां ने औरंगजेब की तुलना हिंदुओं से की, जो अपने माता-पिता की सेवा करते हैं और उनकी मृत्यु के बाद तर्पण करते हैं। उन्होंने लिखा है कि औरंगजेब से अच्छे तो हिंदू हैं, जो अपने माता-पिता की सेवा करते हैं और उनकी मृत्यु के बाद तर्पण करते हैं.

रामकुमार वर्मा की लिखी किताब ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ का अंश
बता दें कि औरंगज़ेब अपने सम्राज्य को अपने पुत्रों में विभाजित कर देना चाहता था. वह उत्तराधिकार खत्म करना चाहता था, लेकिन उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी. उनके बेटों के बीच भी सिंहासन के लिए यद्ध हुआ. उसके तीन बेटे मुहम्मद मुअज्जल, मुहम्मद आजम और कामबख़्श के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध हुआ. युद्ध में उनका बड़ा पुत्र शाहजादा मुअज्जल जीता और उसने अपने भाई मुहम्मद आजम को 18 जून 1707 ईस्वी को जजाऊ में और कामबख़्श को हैदराबाद में जनवरी 1709 ईस्वी में मार डाला.

औरंगजेब के शासनकाल में मुगल साम्राज्य का विस्तार करीब-करीब पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में था.
बता दें कि औरंगजेब की मृत्यु 1707 ईस्वी में हुई थी. महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट खुल्दाबाद नामक छोटे से गांव में जो औरंगजेब आलमगीर का मकबरा बनाया गया, उसमें उसे सीधे सादे तरीके से दफन किया गया. उसकी क़ब्र कच्ची मिटटी की बनाई गई, जिस पर आसमान के सिवाय कोई दूसरी छत नहीं रखी गई. कब्र के मुजाविर उसकी कब्र पर जब तब हरी दूब लगा देते हैं. इसी कच्चे मजार में पड़ा हुआ भारत का यह सम्राट प्रायश्चित की आग में जलते हुए आज भी परमात्मा से रूबरू होने के इंतजार में है.
Patna,Bihar
और पढ़ें