Kann ich Blockchain-Technologie im Alltag nutzen? Kann KI meinen Job übernehmen? Und wie funktioniert Machine Learning? Das und mehr zeigt „Shift – Leben in der digitalen Welt“.
चिली में दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा लगाया जा रहा है जो एक बार में हजारों सितारों की तस्वीरें ले पाएगा. 2.8 मीट्रिक टन वजनी यह कैमरा एक कार जितना बड़ा है.
तस्वीर: Javier Torres/AFP
उत्तरी चिली के मरुस्थल में पहाड़ियों के ऊपर कई विशाल छतरियां और दूरबीनें लगी हैं. इनके जरिए खगोलविद आसमान में सितारों से बातें करते हैं. अब यहां दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा लगाया जा रहा है, जो सितारों के साथ इंसानी संपर्क में क्रांतिकारी बदलाव कर सकता है.
चिली की वेरा सी रूबिन ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वहां लगे टेलीस्कोप में कार के आकार का डिजिटल कैमरा लगाने से ब्रह्मांड के अध्ययन में बड़ी तरक्की हो सकती है.
2025 से शुरुआत
2.8 मीट्रिक टन का कार के आकार का यह डिजिटल कैमरा एक बेहद परिष्कृत और आधुनिक उपकरण है, जिससे ब्रह्मांड के उन कोनों तक भी पहुंचा जा सकेगा, जहां इंसानी नजर पहले कभी नहीं गई.
अमेरिकी फंडिंग से तैयार किया गया यह कैमरा 2025 में काम शुरू करेगा, जब 80 करोड़ डॉलर के इस कैमरे से पहली तस्वीर ली जाएगी. हर तीन दिन में यह आसमान का एक चक्कर लगाएगा जिससे वैज्ञानिकों को विश्लेषण के लिए भरपूर डेटा और तस्वीरें मिलेंगी.
यह कैमरा 3,200 मेगापिक्सल की तस्वीरें ले सकता हैतस्वीर: Javier Torres/AFP
चिली की सोसायटी ऑफ एस्ट्रोनॉमीके अध्यक्ष ब्रूनो डियाज कहते हैं, "शोधकर्ता अब तक एक सितारे का अध्ययन करते हैं और उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करते हैं. अब वे एक वक्त में हजारों सितारों का अध्ययन एक साथ कर पाएंगे.”
क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद
यह ऑब्जर्वेटरी चिली की राजधानी सैनटिएगो से 560 किलोमीटर उत्तर में सेरो पाचों पहाड़ी पर 2,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अमेरिका का रिसर्च सेंटर नोएरलैब (NOIRLab) इसका प्रबंधन देखता है. सेंटर के उप-निदेशक स्टुअर्ट कॉरडर कहते हैं कि नया कैमरा खगोलविज्ञान में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा.
इसका फायदा चिली को भी होगा, जो अंतरिक्ष अध्ययन का एक बड़ा केंद्र है. दुनिया के सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोपों में से एक तिहाई यहीं स्थित हैं क्योंकि यहां का आसमान दुनिया में सबसे साफ माना जाता है.
रुबिन ऑब्जर्वेटरी में लगने वाले कैमरे का पहला काम पूरे आसमान की दस साल की समीक्षा करना होगा. इस समीक्षा को लेगसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम (LSST) कहा जाता है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस समीक्षा से करीब दो करोड़ आकाशगंगाओं, 1.7 अरब सितारों और 60 लाख अन्य अंतरीक्षीय पिंडों के बारे में सूचनाएं मिलेंगी. इस अध्ययन से वैज्ञानिक हमारी आकाश गंगा का भी एक नक्शा बना पाएंगे और डार्क मैटर की और गहराई में जा पाएंगे.
3,200 मेगापिक्सल
नए कैमरे से 3,200 मेगापिक्सल की तस्वीरें ली जाएंगी. यानी यह तस्वीर एक औसत टेलीविजन तस्वीर से लगभग 300 गुना ज्यादा बड़ी होगी. यह कैमरा कैलिफॉर्निया में बनाया गया है. फिलहाल जो दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा है, उससे यह तीन गुना ज्यादा शक्तिशाली होगा.
क्या पाया यूरोप की नई अंतरिक्ष टेलिस्कोप ने
यूरोप के खगोल वैज्ञानिकों ने हाल ही में लॉन्च की गई अंतरिक्ष टेलिस्कोप यूक्लिड द्वारा ली गई तस्वीरें जारी की हैं. देखिए डार्क मैटर और डार्क ऊर्जा के रहस्यों पर से पर्दा हटाने के लिए बनाई गई इस टेलिस्कोप ने क्या पाया.
तस्वीर: ESA/Euclid/Euclid Consortium/NASA, image processing by J.-C. Cuillandre
डार्क मैटर की पड़ताल
यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) की हाल ही में लॉन्च की गई अंतरिक्ष टेलिस्कोप 'यूक्लिड' द्वारा ली गई पहली तस्वीरें हैं. इस टेलिस्कोप को डार्क मैटर और डार्क ऊर्जा के बारे में और पता करने के लिए बनाया गया है. माना जाता है कि ब्रह्मांड का 95 प्रतिशत इन्हीं शक्तियों से बना है. इस मिशन में नासा भी साझेदार है.
तस्वीर: Patrice Lapoirie/dpa/picture alliance
विशाल आकाशगंगाएं
इन तस्वीरों में सिर्फ 24 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर पर्सियस क्लस्टर की 1,000 आकाशगंगाएं और उसके पीछे फैलीं 1,00,000 से ज्यादा आकाशगंगाएं शामिल हैं. यह पर्सियस की तस्वीर है. वैज्ञानिक मानते हैं कि संगठित ढांचे जैसे लगने वाले पर्सियस जैसे विशाल क्लस्टरों का बनना ही डार्क मैटर के होने का प्रमाण है.
तस्वीर: ESA/Euclid/Euclid Consortium/NASA, image processing by J.-C. Cuillandre
हमारी आकाशगंगा की हमशक्ल
ईएसए के मुताबिक यह तस्वीरें इस टेलिस्कोप की 10 अरब प्रकाश वर्ष तक दूर, अरबों आकाशगंगाओं को देख सकने की क्षमता को दिखाती हैं. "हिडेन गैलक्सी" नाम की आकाशगंगा की तस्वीरें भी हैं जिसे हमारी आकाशगंगा की हमशक्ल माना जा रहा है.
तस्वीर: ESA/Euclid/Euclid Consortium/NASA, image processing by J.-C. Cuillandre
ब्रह्मांड के बिल्डिंग ब्लॉक
दूसरी तस्वीरों में एक अनियमित आकाशगंगा शामिल है. माना जा रहा है कि यह ब्रह्मांड के बिल्डिंग ब्लॉक जैसी दिखाई देती है. यूक्लिड इन सभी आकाशगंगाओं के प्रकाश का अध्ययन कर ब्रह्मांड का एक थ्रीडी मैप बनाएगी.
तस्वीर: ESA/Euclid/Euclid Consortium/NASA, image processing by J.-C. Cuillandre
ग्रैविटी से चिपके सितारे
यह करीब 7,800 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एनजीसी 6397 नाम के ग्लोब्यूलर क्लस्टर की तस्वीर है. गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक साथ थामे हुए लाखों सितारों के समूह को ग्लोब्यूलर क्लस्टर कहते हैं. कोई भी और टेलिस्कोप एक साथ एक पूरे ग्लोब्यूलर क्लस्टर की तस्वीर नहीं ले सकती.
तस्वीर: ESA/Euclid/Euclid Consortium/NASA, image processing by J.-C. Cuillandre
घोड़े के सिर वाली नेब्युला
यह घोड़े के सिर वाली नेब्युला का विस्तृत दृश्य है. इसे बर्नार्ड 33 के नाम से भी जाना जाता है और यह ओरियन तारामंडल का हिस्सा है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यूक्लिड की मदद से वो इस नेब्युला में वृहस्पति के घनत्व के कई ग्रहों को उनकी बाल्यवास्था में खोज पाएंगे. (रॉयटर्स)
तस्वीर: ESA/Euclid/Euclid Consortium/NASA, image processing by J.-C. Cuillandre
इस वक्त दुनिया का सबसे शक्तिशाली कैमरा 870 मेगापिक्सल का हाइपर सुप्रीम-कैम है जो जापान में लगा है. चिली में जो अभी सबसे शक्तिशाली कैमरा है, वह 520 मेगापिक्सल का है. उसे केरो टोलोलो माउंटेन पर लगाया गया है.
चिली में पहला कैमरा 1960 के दशक में लगाया गया था जो सिर्फ 40 सेंटीमीटर का था. सेरो टोलोलो इंटर-अमेरिकन ऑब्जर्वेटरी के निदेशक स्टीफन हीथकोट बताते हैं, "वह टेलीस्कोप खच्चर पर लाद कर लाया गया था क्योंकि तब यहां सड़क नहीं थी.”
वेरा सी रुबिन ऑब्जर्वेटरी को अमेरिकी खगोलगविद के नाम पर यह नाम दिया गया है, जिन्होंने डार्क मैटर की खोज की थी.