Railway Budget 2025 World class infrastructure Kavach system and train delays | वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर, कवच सिस्टम और लेटलतीफी से छुटकारा...रेलवे के लिए आम जनता की क्या हैं उम्मीदें?
वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर, कवच सिस्टम और लेटलतीफी से छुटकारा...रेलवे के लिए आम जनता की क्या हैं उम्मीदें?
Railway Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लगातार 8वीं बार बजट पेश करेंगी. इस मौके पर हर क्षेत्र की रेलवे को भी बड़ी उम्मीदें हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस बार रेलवे को कितना इजाफा मिल सकता है. साथ ही किन-किन दिशाओं में खर्च की जरूरत है.
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Railway Budget 2025: भारतीय रेलवे को एक विश्वस्तरीय परिवहन प्रणाली में बदलने के लिए हर साल के केंद्रीय बजट में इसे मिलने वाली रकम बेहद महत्वपूर्ण होती है. रेलवे के कुल खर्च का लगभग 40 फीसद केंद्र सरकार के बजट से आता है. ऐसे में 2025-26 के बजट में सभी की नजरें इस पर भी टिकी हुई हैं कि रेलवे के आधुनिकीकरण, सुरक्षा और विस्तार के लिए कितना पैसा दिया जाएगा.
रेलवे में निवेश की जरूरत
पिछले 5 वर्षों में रेलवे के खर्च में 77 फीसद की बढ़ोतरी हुई है लेकिन अभी भी जरूरत से कम पैसा खर्च हुआ है. राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के तहत 2020 से 2025 तक रेलवे के लिए 13.6 लाख करोड़ रुपया का बजट तय किया गया था, लेकिन अब तक सिर्फ 9.59 लाख करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं. इस कमी को पूरा करने के लिए 2025-26 के बजट में 15-20 फीसद की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
माल ढुलाई के लिए समर्पित कॉरिडोर (DFC)
मालगाड़ियों की रफ्तार बढ़ाने और माल ढुलाई की लागत कम करने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) बहुत जरूरी हैं. अभी पूर्वी DFC (पंजाब से बिहार)और पश्चिमी DFC (महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश) पर काफी काम हो चुका है. अब सरकार पूर्व-पश्चिम (महाराष्ट्र से पश्चिम बंगाल), उत्तर-दक्षिण (हरियाणा से तमिलनाडु) और ईस्ट कोस्ट (पश्चिम बंगाल से आंध्र प्रदेश) जैसे नए कॉरिडोर पर ध्यान दे रही है. इन नए कॉरिडोर से देश के औद्योगिक और व्यापारिक केंद्रों को और बेहतर तरीके से जोड़ा जा सकेगा.
'मेड इन इंडिया' ट्रेनों को बढ़ावा
रेलवे में कोच और इंजन के लिए खर्च लगातार बढ़ रहा है. 2022 में 27000 करोड़ रुपये खर्च हुआ था, जो 2024 में 52000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, लेकिन अभी भी पहिए, ब्रेक और एक्सल जैसी कई जरूरी चीजें बाहर से मंगानी पड़ती हैं. अगर रेलवे के लिए 'उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme)'लाई जाए तो देश में ही इन चीजों का उत्पादन बढ़ सकता है. इससे भारत आत्मनिर्भर बनेगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
सुरक्षा के लिए 'कवच' सिस्टम
रेलवे सुरक्षा के लिए 'कवच' नामक एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) तैयार की गई है. यह तकनीक अब तक 1465 किलोमीटर ट्रैक और 144 इंजनों में लगाई जा चुकी है. अगले चरण में इसे 6000 किलोमीटर और ट्रैकों पर लगाने की योजना है. इसलिए 2025-26 के बजट में 'कवच' सिस्टम के लिए बड़ा निवेश किया जा सकता है ताकि ट्रेन दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और रेलयात्रा को और सुरक्षित बनाया जा सके.
रेलवे से जुड़े बुनियादी ढांचे
रेलवे के विकास में सिर्फ ट्रेनें और ट्रैक ही नहीं, बल्कि फ्लाईओवर, बाईपास, माल ढुलाई टर्मिनल और आधुनिक स्टेशन भी जरूरी हैं.
➤ फ्लाईओवर और अंडरब्रिज पर 2022 में 4800 करोड़ रुपये खर्च हुआ था, जो 2024 में बढ़कर 9200 करोड़ रुपये हो चुका है.
➤ ऐसे प्रोजेक्ट जो आर्थिक तौर पर जरूरी हैं लेकिन निजी निवेशकों के लिए लाभदायक नहीं हैं, उनके लिए सरकार को सीधे बजट से पैसा देना होगा.
➤ माल ढुलाई टर्मिनल और लॉजिस्टिक्स पार्क जैसे प्रोजेक्ट निजी कंपनियों के सहयोग (PPP मॉडल) से बनाए जा सकते हैं.
आर्थिक वृद्धि होगी और रोजगार भी बढ़ेगा
ऐसे में कहा जा सकता है कि 2025-26 का बजट भारतीय रेलवे के लिए एक बड़ा मौका है, जिससे रेलवे के विकास की रफ्तार को तेज किया जा सकता है. सही रणनीति के साथ 'मालगाड़ी कॉरिडोर, स्वदेशी ट्रेन निर्माण, सुरक्षा और बुनियादी ढांचे' पर निवेश किया जाए तो भारतीय रेलवे को 'विश्व स्तरीय परिवहन प्रणाली' बनाने का सपना साकार हो सकता है. रेलवे का आधुनिकीकरण सिर्फ यात्रा को बेहतर नहीं बनाएगा, बल्कि यह भारत की 'आर्थिक वृद्धि, रोजगार' में भी अहम किरदार अदा करेगा.