Monday, February 24, 2025

India vs Pakistan, Champions Trophy 2025

 

India vs Pakistan, Champions Trophy 2025:

 पाकिस्तान के लोग भारत से हारने पर कर रहे एक से बढ़कर एक बात, 'भारत हमें अब घास ही नहीं डालता'

पाकिस्तान के लोग भारत से हारने पर कर रहे एक से बढ़कर एक बात, 'भारत हमें अब घास ही नहीं डालता'

विराट कोहली

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इमेज कैप्शन, विराट कोहली ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ शतकीय पारी खेली और जीत में उनका बड़ा योदगान रहा

चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत से हार के बाद पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर से लेकर वहाँ के आम लोग तक ग़ुस्सा जता रहे हैं.

सोशल मीडिया से लेकर पाकिस्तान के टीवी और अख़बारों में भी पाकिस्तानी टीम के प्रति काफ़ी नाराज़गी देखने को मिल रही है.

बाांग्लादेश के बाद पाकिस्तान को हराकर भारत ने सेमीफ़ाइनल में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है और पाकिस्तान की राह लगभग असंभव हो गई है. पाकिस्तान के कप्तान मोहम्मद रिज़वान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया लेकिन नतीजे से स्पष्ट है कि यह फ़ैसला पाकिस्तान के हक़ में नहीं गया.

हालांकि पाकिस्तानी टीम बल्लेबाज़ी करने आई तो भारतीय गेंदबाज़ बहुत लय में दिखे. ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान भारी पड़ेगा. भारत के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी ने तो पहले ही ओवर में पाँच वाइड गेंद फेंकी. मोहम्मद शमी ने पहले ओवर में 11 गेंदें फेंकी थीं. भारत की तरफ़ से 17 अतिरिक्त रन दिए थे. भारत के लोगों ने सोशल मीडिया पर शमी की आलोचना भी शुरू कर दी थी.

लेकिन नौवें ओवर की दूसरी गेंद पर हार्दिक पांड्या ने बाबर आज़म को आउट कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान के हक़ में कुछ भी नहीं गया.

पाकिस्तान की पूरी टीम 50 ओवर में दो गेंद बाक़ी थी तभी 241 के स्कोर पर ऑल आउट हो गई. भारत ने 42 ओवर तीन गेंद में यह लक्ष्य हासिल कर लिया और पाकिस्तान को छह विकेट से मात दी.

इस जीत के साथ ही भारत चैंपियंस ट्रॉफ़ी के ग्रुप ए में चार अंकों के साथ शीर्ष पर आ गया है और पाकिस्तान सबसे आख़िरी पायदान पर है. ग्रुप ए में भारत पहले नंबर है, न्यूज़ीलैंड दूसरे नंबर पर, बांग्लादेश तीसरे नंबर पर और पाकिस्तान चौथे नंबर पर है.

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इमेज कैप्शन, पाकिस्तान के लोग मोहम्मद रिज़वान की कप्तानी पर भी सवाल उठा रहे हैं

टीम चयन पर ग़ुस्सा

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मुकेश शर्मा
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क्रिकेट पर पाकिस्तान के चर्चित शो स्पोर्ट्स सेंट्रल में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और जाने-माने क्रिकेटर वसीम अकरम ने कहा,''अब बहुत हो गया. हमें कठोर क़दम उठाना चाहिए. हम पिछले कई सालों से सफ़ेद गेंद में हार रहे हैं. किसी भी टीम से हार जा रहे हैं. अब साहसिक फ़ैसले की ज़रूरत है. हमें नौजवान और निडर क्रिकेटर चाहिए. भले हमें पाँच छह चेंज करने पड़े. 2026 के टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए. हमने इन्हें बहुत वक़्त दे दिया. इन्हें स्टार बना दिया. अब नहीं.''

वसीम अकरम ने कहा, ''पाकिस्तान के पाँच मैचों में हमारे सारे गेंदबाज़ों ने 24 विकेट 60 के एवरेज से लिए हैं. यानी 60 रन प्रति विकेट. अब होना ये चाहिए कि पीसीबी चेयरमैन वापस जाएं. सिलेक्शन कमिटी, कप्तान और कोच को बुलाएं. इनसे पूछा जाए कि किन लोगों को खेलने का मौक़ा दिया है? ख़ुशदील शाह और सलमान आग़ा को देख क्या लग रहा था कि ये विराट कोहली जैसे बल्लेबाज़ को आउट कर सकते है?''

वसीम अकरम ने कहा, ''हम चीखें मार रहे थे कि यह प्लेइंग 11 ठीक नहीं है. चेयरमैन ने कहा भी कि बदलाव करना है तो कर लो लेकिन उसी प्लेइंग इलेवन के साथ आ गया. इसमें कप्तान भी कसूरवार है क्योंकि कप्तान ही टीम का लीडर होता है. अगर उसे ही नहीं पता है कि किन लोगों से मैच जीता जा सकता है तो यह शर्मनाक है. दुबई के स्टेडियम से पाकिस्तानी प्रशंसक 20 ओवर के बाद ही निकल गए थे. ऐसा कभी नहीं हुआ था.''

इसी कार्यक्रम में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और चर्चिच क्रिकेर वक़ार युनूस ने पाकिस्तान की टीम की कड़ी आलोचना की. वक़ार युनूस ने कहा, ''पाकिस्तान की गेंदबाज़ी में कोई अनुशासन नहीं था. बैटिंग का भी वही हाल था. बाबर अच्छा दिख रहा था लेकिन ख़ुद को संभाल नहीं पाया. रिज़वान ने आते ही चौका लगाया लेकिन उसके बाद क्या हुआ पता नहीं.''

पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज शोएब अख़्तर ने एक टीवी शो में कहा, ''अनोखी चीज़ तो हुई नहीं है. हमें अब आदत हो गई है. बात इरादे की नहीं है. मुझे तो लगता है कि पाकिस्तानी टीम के पास स्किल भी नहीं है. स्किल होता तो इस तरह नहीं खेलते. एक तो कप्तानी बिना दिमाग़ लगाए हुई है. उन्हें कुछ पता ही नहीं है कि क्या करना है. अब तो बात करने का भी मन नहीं कर करता है.''

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इमेज कैप्शन, पाकिस्तान की पूरी टीम दो गेंद रहते ही ऑल आउट हो गई

टैलेंट पर सवाल

इसी कार्यक्रम में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मोहम्मद हफ़ीज़ ने कहा कि पाकिस्तान टीम में टैलेंट है लेकिन प्लानिंग की कमी है. इस पर शोएब अख़्तर ने पूछा कि कौन सा टैलेंट है? किस चीज़ का टैलेंट है?

इसके जवाब में मोहम्मद हफ़ीज़ ने कहा, ''हम जानबूझकर एक अच्छा ओपनर नहीं रखते हैं. जानबूझकर हमने अच्छे स्पिनर नहीं रखा. हमारे पास सेकंड स्पिनर नहीं है. जो हैं, वे अनियमित हैं. ये टीम का चयन ठीक नहीं था. अगर क्वॉलिटी स्पिनर होते तो स्थिति अलग होती. मुझे नहीं लगता है कि उस पिच पर 241 रन का टारगेट बुरा था.''

इस शोएब अख़्तर ने कहा, ''क्या हम बाबर और विराट की तुलना कर सकते हैं? क्या हम श्रेयस अय्यर और ख़ुशदील शाह को बराबरी में देख सकते हैं? क्या हम रोहित शर्मा और फ़ख़र ज़मां या रिज़वान की तुलना कर सकते हैं? आप किस टैलेंट की बात कर रहे हैं? टैलेंट दिखता है न कि बातें करनी पड़ती हैं. स्टार कोई अंधेरे में नहीं बनता है बल्कि वो चमकता है.''

वक़ार युनूस ने कहा, ''रिज़वान और साऊद शकील के बीच 104 रन की साझेदारी हुई. लेकिन 144 गेंदों में इन्होंने 104 रन बनाए. वनडे क्रिकेट ऐसे नहीं होता है. इन दोनों ने 24 ओवर बैटिंग की और इनमें 19 ओवर ऐसे थे, जिनमें पाँच या पाँच से कम रन हुए हैं. बल्कि पाँच दो तीन बार ही हुए हैं. इंडिया ने पहले 10 ओवरों में 11 बॉउंड्री मारी और पाकिस्तान ने पहले 30 ओवरों में 11 बाउंड्री मारी. मैच तो यहीं ख़त्म हो गया था. मेरा मानना है कि रिज़वान और शकील की साझेदारी हार के लिए ज़िम्मेदार है.''

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इमेज कैप्शन, पाकिस्तान इस हार के साथ ही चैंपियंस ट्रॉफी से लगभग बाहर हो गया है

'भारत अब ज़्यादा घास ही नहीं डालता'

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और पीसीबी के पूर्व चेयरमैन रमीज़ रज़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, ''भारत से हार होती है तो ज़्यादा तकलीफ़ होती है. लेकिन सबसे ज़्यादा तकलीफ़ की बात है कि भारत अब ज़्यादा घास ही नहीं डालता है. क्योंकि उन्हें पहले से ही इल्म होता है कि क्या होना है. अब तो लोग मानकर चलने लगे हैं कि भारत से पाकिस्तान खेलेगा तो हार ही मिलेगी. आज भी जब भारत ने मैच जीता तो भारत की तरफ़ से बहुत संतुलित रिएक्शन था. हमने तो भारत को बांग्लादेश की तरह भी चुनौती नहीं दी. भारत को पता है कि कब क्या करना है.''

रमीज़ रज़ा ने कहा, ''भारत की टीम घबराती नहीं है. पाकिस्तान के साथ बहुत मसले हैं. रिज़वान की कप्तानी बेहतर हो सकती थी. पाकिस्तान का स्पिन डिपार्टमेंट बहुत कमज़ोर था. पाकिस्तान का प्लेइंग 11 बहुत ही बेकार था. साउद शकील ने बेतुका शॉर्ट खेला. सलमान आग़ा ने भी वही किया. 241 का लक्ष्य देकर आप भारत से नहीं जी सकते हैं. विराट कोहली ने कमाल की बैटिंग की और कमाल की फिटनेस है.''

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर बासित अली ने पाकिस्तानी चैनल एआरवाई से कहा, ''सबसे पहले बात तो सिलेक्शन कमिटी की होनी चाहिए. बाबर आज़म को ओपनर क्यों बनाया? जब से टीम बनी है, तब से कहा जा रहा है कि स्पिनर चाहिए. हमने उन्हीं लोगों को शामिल कर रखा है, जिनसे हार मिल रही है. इंडिया वाले क्या पागल हैं कि स्पिनर खिला रहे थे. कोहली वर्ल्ड क्लास ऐसे ही नहीं बना है. हमारे हीरो सोशल मीडिया के शेर हैं.''

वीडियो कैप्शन, क्या विराट कोहली और रोहित शर्मा का टेस्ट करियर ख़त्म? टीम इंडिया में क्या गड़बड़?- द लेंस

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित


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Friday, February 21, 2025

 

Tata Motors EV Sale,Tesla की एंट्री से पहले टाटा मोटर्स का खास ऑफर, किसे मिलेगा 50,000 रुपये का फायदा? - ahead of tesla's entry tata motors announces special benefits for buyers

Tesla की एंट्री से पहले टाटा मोटर्स का खास ऑफर, किसे मिलेगा 50,000 रुपये का फायदा?

Curated byदिल प्रकाश | नवभारतटाइम्स.कॉम 20 Feb 2025, 4:42 pm

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लंबे इंतजार के बाद आखिरकार एलन मस्क की कंपनी टेस्ला भारत में एंट्री मारने की तैयारी में है। इससे देश के ईवी मार्केट में हलचल तेज हो गई है। टाटा मोटर्स अपनी ईवी पर खास ऑफर दे रही है। कंपनी ने देश में 2 लाख गाड़ियां बेचने की उपलब्धि हासिल की है।

हाइलाइट्स

  • अपने ग्राहकों के लिए खास ऑफर लेकर आई टाटा मोटर्स
  • टाटा मोटर्स देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी है
  • कंपनी ने 2 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक गाड़ियां बेची हैं
Tata Motors
टाटा मोटर्स का यह ऑफर 45 दिन के लिए है।

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क की कंपनी टेस्ला के भारत आने की खबरों के बीच टाटा मोटर्स ने अपने ग्राहकों के लिए खास ऑफर्स की घोषणा की है। टाटा मोटर्स देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी है। टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने देश में 2 लाख इलेक्ट्रिक वीकल बेचने का बड़ा मुकाम हासिल किया है। यह उपलब्धि हासिल करने की खुशी में कंपनी अगले 45 दिनों तक ये ऑफर्स दे रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टेस्ला अप्रैल 2025 में भारत में एंट्री कर सकती है। कंपनी जर्मनी से कारें आयात करेगी जिनकी शुरुआती कीमत 21 लाख रुपये होगी। कंपनी की मुंबई और दिल्ली में शोरूम खोलने की योजना है और इसके लिए उसने भारत में भर्तियां भी शुरू कर दी हैं।टाटा मोटर्स अभी भारत में 5 इलेक्ट्रिक मॉडल बेचती है। इनमें Tiago EV, Tigor EV, Punch EV, Nexon EV, और Curvv EV शामिल हैं। इनकी कीमत 7.99 लाख रुपये से शुरू होती है। टाटा मोटर्स अभी भारत में सबसे ज्यादा ईवी बेचने वाली कंपनी है। साल 2024 में कंपनी ने 61,496 ईवी बेची जबकि 2023 में यह संख्या 60,100 थी। हालांकि भारतीय बाजार में कंपनी का मार्केट शेयर 73% से घटकर 62% रह गया है। हाल में संपन्न भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में कंपनी ने अपने आने वाले मॉडल्स भी दिखाए। इनमें Harrier EV और Sierra EV शामिल हैं। ये दोनों कारें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होंगी।

किसे मिलेगा फायदा

टाटा मोटर्स के खास ऑफर्स में 50,000 रुपये तक का एक्सचेंज बोनस शामिल है। साथ ही, आकर्षक फाइनेंसिंग स्कीम भी हैं, जिनमें बिना किसी डाउन पेमेंट के 100% ऑन-रोड फंडिंग मिल सकती है। Curvv EV या Nexon EV खरीदने वाले ग्राहकों को टाटा पावर के चार्जिंग नेटवर्क का छह महीने का मुफ्त एक्सेस और घर पर 7.2 kW AC चार्जर की मुफ्त इंस्टॉलेशन मिलेगी। टाटा के पुराने ग्राहकों के लिए भी लॉयल्टी रिवॉर्ड्स हैं।


साथ ही जो ग्राहक अपनी पुरानी टाटा EV को Nexon EV या Curvv EV से बदलना चाहते हैं, उन्हें 50,000 रुपये का लॉयल्टी बोनस मिलेगा। टाटा की पेट्रोल-डीजल कार वाले ग्राहक अगर EV खरीदते हैं तो उन्हें 20,000 रुपये का लॉयल्टी बोनस मिलेगा। इन ऑफर्स के जरिए टाटा मोटर्स तेजी से बढ़ते EV मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। कंपनी ज्यादा से ज्यादा लोगों को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

लेखक के बारे में

दिल प्रकाश नवभारतटाइम्स.कॉम में असिस्टेंट न्यूज एडिटर हैं। उन्हें पत्रकारिता में 17 साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत साल 2006 में यूनीवार्ता से की थी। शुरुआत में खेल डेस्क के लिए काम किया। इस दौरान राष्ट्रमंडल खेल (2010), हॉकी वर्ल्ड कप, आईपीएल और वनडे वर्ल्ड कप (2011) को कवर किया। फिर नेशनल ब्यूरो से जुड़े और पार्लियामेंट से लेकर राजनीति, डिफेंस और पर्यावरण जैसे कई विषयों पर रिपोर्टिंग की। इस दौरान तीन साल तक बीबीसी में भी आउटसाइड कंट्रीब्यूटर रहे। यूनीवार्ता में दस साल तक काम करने के बाद साल 2016 में बिजनस स्टैंडर्ड से जुड़े। फरवरी 2020 में ऑनलाइन का रुख किया।... और पढ़ें

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता इन चुनौतियों से निपट पाएंगी?

 

 दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता इन     चुनौतियों से निपट पाएंगी?       

दिल्ली: सीएम रेस में बाज़ी पलटने वालीं रेखा गुप्ता के सामने क्या हैं बड़ी चुनौतियां

नरेंद्र मोदी और रेखा गुप्ता

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  • Author, दीपक मंडल और आनंद मणि त्रिपाठी
  • पदनाम, बीबीसी संवाददाता
  • रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गई हैं. उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बुधवार को उन्हें भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल का नेता चुना गया था.

रेखा गुप्ता के सामने दिल्ली में एक मज़बूत विपक्ष भी होगा और देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली पर दुनियाभर की नज़रें होती हैं. ऐसे में विश्लेषकों का कहना है कि रेखा गुप्ता के लिए दिल्ली का ताज आसान नहीं होगा.

उनके सामने पार्टी के अंदर और बाहर दोनों मोर्चों पर चुनौतियां होंगीं. दिल्ली में बेहतर प्रशासन और चुनाव के दौरान किए गए बीजेपी के वादे को भी पूरा करने की चुनौती होगी.

ख़ास बात यह भी है कि आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का जन्म जिस दिल्ली में हुआ है, वहां वह पहली बार विपक्ष में आई है, इसलिए रेखा गुप्ता के सामने चुनौतियाँ ज़्यादा बड़ी हो सकती हैं.

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रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं. उनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं.

हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को क़रीब 30 हज़ार वोट से हराया था.

चुनाव के बाद दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता अजय महावर और रेखा गुप्ता समेत पार्टी को कुछ और वरिष्ठ नेताओं का नाम चल रहा था.

लेकिन आखिरकार इस रेस में रेखा गुप्ता को जीत मिली.

रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा की हैं. वो वैश्य समुदाय से आती हैं और ये दो पहलू भी उनके पक्ष में गए.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हेमंत अत्री कहते हैं, ''बीजेपी ने एक वार से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की राजनीति को एक घेरे में बांध दिया है. वो हरियाणा की पृष्ठभूमि लेकर वैश्य वर्ग को आकर्षित कर रहे थे. बीजेपी ने उसे पलट दिया है.''

हरियाणा ने देश की राजधानी दिल्ली को तीसरा मुख्यमंत्री दिया है. पहली सुषमा स्वराज थीं. दूसरे अरविंद केजरीवाल और अब जींद​ ज़िले के जुलाना क्षेत्र के नंदगढ़ गांव की रहने वाली रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बन गई हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए प्रवेश वर्मा का नाम सबसे ज़ोर-शोर से चल रहा था. आख़िर वो कहां पिछड़ गए?

इस सवाल के जवाब में हेमंत अत्री ने कहा,'' प्रवेश वर्मा का बड़बोलापन, महत्वाकांक्षा और विवादित बयानबाज़ी उन पर भारी पड़ी. मुसलमानों के ख़िलाफ़ बयान भी उनके पक्ष में नहीं गया. वहीं रेखा गुप्ता का आरएसएस से लंबा जुड़ाव और एबीवीपी की पृष्ठभूमि ने उनका बखूबी साथ दिया. अंतिम समय पर संघ की पैरवी ने सारा खेल ही रेखा के पक्ष में पलट दिया.''

अत्री कहते हैं, ''ब्राह्मणों और वैश्यों को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. दिल्ली में करीब सात फीसदी वैश्य हैं. रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर वैश्य वोटों को अरविंद केजरीवाल से छिटकाने का भी काम किया गया है.''

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इमेज कैप्शन, रेखा गुप्ता (बाएं) के दिल्ली यूनिवर्सिटी में कॉलेज के दिनों की इस तस्वीर में उनके साथ अलका लांबा भी नज़र आ रही हैं.

हफ़्ते की सबसे बड़ी न्यूज़ स्टोरी पर चर्चा: मुकेश शर्मा के साथ.

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विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री बना कर महिला वोटरों को ये संदेश देना चाहती है कि वो उनके हित में काम करेंगीं.

देश के 20 राज्यों में एनडीए शासन में है लेकिन किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं थी.

दिल्ली में जीत के साथ एनडीए का शासन 21वें राज्य तक पहुंच गया.

विश्लेषकों का कहना है कि रेखा गुप्ता का दिल्ली का सीएम बनना बीजेपी की राज्यों में जातीय समीकरण बनाने की रणनीति का भी हिस्सा है.

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अनंत मिश्रा बताते हैं, ''बीजेपी ने एक तीर से तीन निशाने लगाए हैं. बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर महिला, वैश्य समुदाय और संघ को भी साधने का प्रयास किया है. बिहार और पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी कहीं न कहीं महिलाओं को साधने के लिए इनका उपयोग करेगी.''

वो कहते हैं, ''बीजेपी ने इससे देश में जातीय समीकरण में संतुलन और हर वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. राजस्थान और महाराष्ट्र में ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में क्षत्रिय मुख्यमंत्री का शासन है."

"मध्यप्रदेश और हरियाणा में अन्य पिछड़े वर्ग से आने वाले मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. वहीं ओडिशा और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग से बनाए गए हैं. ऐसे में वैश्य वर्ग से महिला मुख्यमंत्री बनाकर सबका साथ लेकर चलने की मंशा दिखाई गई है.''

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इमेज कैप्शन, प्रवेश वर्मा को मिठाई खिलातीं रेखा गुप्ता

क्या रेखा गुप्ता को पार्टी में गुटबाजी का सामना करना होगा. क्योंकि पहले भी दिल्ली में बीजेपी की सरकार में गुटबाजी देखने को मिली है. क्या वो एलजी के साथ तालमेल बिठाकर चल पाएंगीं?

इस सवाल पर हेमंत अत्री कहते हैं, ''बीजेपी के शासन में अब एलजी चुनौती नहीं खड़ी करेंगे. कैबिनेट के हर मामले को वह आराम से आगे बढ़ा देंगे. वहीं अरविंद केजरीवाल को व्यक्तिगत रूप से हमलावर होने से पहले दस बार विचार करना होगा.''

वो कहते हैं, ''रेखा गुप्ता महिला हैं और उसी भूमि और वर्ग से हैं जिससे केजरीवाल आते हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल नीतियों पर आक्रामक रहेंगे और यह आक्रामकता बीजेपी के ख़िलाफ़ होगी न कि रेखा गुप्ता के खिलाफ.''

अनंत मिश्रा कहते हैं कि जिसका प्रचार स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने किया हो और संघ जिसके साथ खड़ा हो, उसके ख़िलाफ़ गुटबाजी बहुत कम ही असर करेगी.

वो कहते हैं, ''दूसरी बात ये कि दिल्ली बीजेपी में कोई बहुत वरिष्ठ नेता नहीं है और जो इस समय नेता हैं वह सभी एक बराबर हैं. रेखा गुप्ता संगठन में भी हैं और पूर्व मेयर का भी अनुभव है. वो 30 साल से सक्रिय राजनीति कर रही हैं. ऐसे में उनका अनुभव गुटबाजी रोककर संतुलन बिठाने के काम आएगा. बीजेपी में यूं भी बगावत कबूल नहीं की जाती है.''

विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के सामने फिलहाल भले ही राजनीतिक चुनौतियां नज़र नहीं आ रही हैं, लेकिन उन्हें राजधानी में बेहतरीन गवर्नेंस देना होगा. देश की राजधानी साफ पानी की कमी, प्रदूषण और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर जूझ रही है.

बीजेपी ने दिल्ली चुनाव के प्रचार अभियानों के दौरान ये दावा किया था कि वो इसे एक विकसित देश की राजधानी बनाकर दिखाएंगे.

साथ ही बीजेपी को दिल्ली के मतदाताओं को किए गए वादे भी पूरा करना होगा. इसमें सबसे अहम महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने और यमुना की सफाई का मुद्दा है. आइए देखते हैं कि रेखा गुप्ता को गवर्नेंस के किन मोर्चों पर जूझना होगा.

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इमेज कैप्शन, बीजेपी ने दिल्ली में हर महिला को 2500 रुपये देने का वादा किया है

देश में कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों के खाते में सीधे पैसे भेजने का दांव राजनीतिक दलों के लिए मुफ़ीद साबित हुआ है.

हाल के दिनों में महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने का चुनावी वादा सबसे पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी ने किया.

यहां महिलाओं को हर महीने 1200 रुपये देने का वादा किया था और अब इसे बढ़ा कर 3000 रुपये करने की बात की जा रही है.

माना जा रहा है कि शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी को मिली जीत में लाडली बहना योजना के तहत किए गए इस वादे की अहम भूमिका रही.

इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में 'लाडकी बहिन' और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 'मैया सम्मान योजना' के तहत महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने का एलान किया.

इनका असर दिखा. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे) एनसीपी (अजित पवार) और बीजेपी की महायुति और झारखंड में हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन को चुनाव जिताने में इसने अहम भूमिका निभाई.

बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में ऐलान किया था कि उसकी पार्टी सरकार बनी तो वो 8 मार्च तक दिल्ली में महिला समृद्धि योजना के तहत महिला वोटरों को 2500 रुपये की पहली किस्त दे देगी.

अगले कुछ हफ्तों के दौरान रेखा गुप्ता की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये पक्का करना होगा कि महिलाओं तक पैसा सही ढंग से कैसे पहुंचे.

बीजेपी ने यहां गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपये देने का वादा किया था. साथ ही उसने आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने का भी वादा किया था.

इसके लिए उसे दिल्ली में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा. ये देखना दिलचस्प होगा कि 'डबल इंजन' सरकार का वादा कर दिल्ली की सत्ता में आई बीजेपी इन योजनाओं को कितने कारगर ढंग से लागू कर पाती है.

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इमेज कैप्शन, यमुना नदी को साफ करना दिल्ली चुनाव का बड़ा मुद्दा रहा है

दिल्ली चुनाव यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने का वादा एक बड़ा मुद्दा था. इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार और बीजेपी के बीच जमकर घमासान हुआ था.

दोनों ने एक-दूसरे पर यमुना की गंदगी का ठीकरा फोड़ा था.

साल 2015 में आम आदमी पार्टी ने कहा था कि उसकी सरकार बनी तो दो साल में यमुना इतनी साफ हो जाएगी कि लोग इसमें डुबकी लगा सकेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने भी यमुना साफ करने का वादा किया है. लेकिन रेखा गुप्ता की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, दिल्ली के औद्योगिक कचरे को यमुना में गिरने से रोकना.

साथ ही गैर मानसून सीजन में इसमें पर्याप्त पानी सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती होगी.

जब आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता में थी तो राज्य की खराब माली हालत पर वित्त विभाग ने कई बार सवाल उठाए थे. चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी सरकार ने नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड से 10 हजार करोड़ रुपये मांगे थे.

वित्त विभाग ने आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी पर गंभीर सवाल खड़े किए थे.

बीजेपी ने वादा किया है कि मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए बस यात्रा सहित आम आदमी सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी जारी रहेगी.

राज्य और केंद्र दोनों जगह अपनी सरकार होने की वजह से दिल्ली सरकार को सहूलियत हो सकती है.

लेकिन रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और फेम स्कीम के तहत नई इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए पैसे का इंतज़ाम बड़ी चुनौती होगी.

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इमेज कैप्शन, दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज (फ़ाइल फ़ोटो)

आम आदमी पार्टी सरकार लगातार ये आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार और एलजी का दफ़्तर उसे दिल्ली में शहरी विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम नहीं करने दे रहा है.

वो सड़कों का विकास और कूड़ा निस्तारण के काम को सुचारू बनाने में अड़चन डाल रहा है.

विश्लेषकों का कहना है कि अब दिल्ली में 'डबल इंजन' की सरकार को सड़कों और फ्लाईओवरों की मरम्मत और रखरखाव के लिए खासा खर्च करना पड़ेगा.

बीजेपी नेताओं का कहना था कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो दिल्ली किसी विकसित देश की राजधानी के तौर पर दिखेगी.

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इमेज कैप्शन, क्या बीजेपी सरकार दिल्ली को वायु प्रदूषण से मुक्ति दिला पाएगी?

दिल्ली की हवा दिनोंदिन ख़राब होती जा रही है. बढ़ते प्रदूषण की वजह से अक्सर ठंड के दिनों में दिल्ली की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच जाती है.

प्रदूषण की वजह से दिल्ली में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति पैदा हो जाती. स्कूल बंद कर दिए जाते हैं और लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी जाती है.

राजधानी दिल्ली को, यहां रहने वाले लोगों के लिए 'गैस चैंबर' बताया जाता है.

सवाल ये है कि क्या रेखा गुप्ता की सरकार दिल्ली को बढ़ते प्रदूषण से मुक्ति दिला पाएंगीं?

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित