Tuesday, February 25, 2025

Mahashivratri 2025: भोलेनाथ के 5 बड़े गुण बच्‍चों को बना सकते हैं पॉवरफुल, एग्‍जाम और परेशानियां तो लगेंगी चींटी सी​

 

Mahashivratri 2025: भोलेनाथ के 5 बड़े गुण बच्‍चों को बना सकते हैं पॉवरफुल, एग्‍जाम और परेशानियां तो लगेंगी चींटी सी​

Authored byपारुल रोहतगी | Edited byसुधीर सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 25 Feb 2025, 7:58 am

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महाशिवरात्रि 2025 पर आप भी अपने बच्‍चे को एक कीमती उपहार दे सकते हैं और यह उपहार होगा कि आप उसे भोलेनाथ के कुछ गुण लेने के लिए प्रेरित करें। महाशिवरात्रि 2025 के अवसर पर हम आपको भोलेनाथ के कुछ ऐसे गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्‍हें आप अपने बच्‍चे को अपनाने के लिए कह सकते हैं।

lessons children can learn from lord shiva on mahashivratri 2025

26 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्रि का त्‍योहार मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव के भक्‍तों की आस्‍था और प्रेम चरम पर होती है। महाशिवरात्रि 2025 पर पूरे विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा किए जाने का विधान है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को बहुत माना जाता है और उनके गुणों का लोग अनुसरण करना चाहते हैं।

इस महाशिवरात्रि पर हम आपको भगवान शिव के कुछ ऐसे गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्‍हें बच्‍चे अपना सकते हैं और इससे उन्‍हें अपने जीवन में असीम लाभ मिल सकता है। भगवान शिव केवल एक देवता ही नहीं हैं बल्कि वे आदर्श व्‍यक्‍तित्‍व, संयम, कर्त्तव्‍य और ज्ञान के भी प्रतीक हैं। उनके जीवन से बच्‍चों को कई चीजें सीखने को मिलती हैं।

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धैर्य सीख सकते हैं बच्‍चे

भगवान शिव धैर्य और सहनशीलता के प्रतीक हैं। समुद्र मंथन के दौरान उन्‍होंने विश्‍व की रक्षा के लिए हलाकल विष को अपने कंठ में धारण किया था और ऐसे न जाने कितनी ही बार सृष्टि का उद्धार किया है। इससे बच्‍चों को सीखने को मिलता है कि जीवन में कई कठिनाईयां आती हैं लेकिन उन्‍हें धैर्य और सहनशीलता से काम करना चाहिए।

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सादगी से संतोष

भगवान शिव एकमात्र ऐसे आराध्‍य हैं जो सोने-चांदी के आभूषण धारण नहीं करते हैं बल्कि रुद्राक्ष की माला और आभूषण पहनते हैं। भोलेनाथ को यही प्रिय लगता है और वो इस सादगी से ही संतुष्‍ट हैं। बच्‍चों को यह सिखाएं कि सच्‍चा सुख भौतिक चीजों में नहीं बल्कि संतोष में होता है।

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कर्त्तव्‍य को पूरा करते हैं

भगवान शिव सदैव अपने भक्‍तों के लिए कर्त्तव्‍यनिष्‍ठ रहे हैं। उन्‍होंने कभी अपने भक्‍तों में भेदभाव में नहीं किया है और सभी को एक समान दृष्टि से देखते हैं। इससे बच्‍चों को यह सीख मिलती है कि उन्‍हें भोलेनाथ की तरह अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्‍मेदार बनना चाहिए और हमेशा अपने कर्त्तव्‍यों को निभाना चाहिए।
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फोकस मिलता है

भगवान शिव ने ही योग और ध्‍यान की शुरुआत की थी इसलिए उन्‍हें आदियोगी कहा जाता है। वे हमेशा ध्‍यान की स्थिति में रहते हैं। ध्‍यान करने से फोकस बढ़ता है और यह बच्‍चों के लिए बहुत उपयोगी है। बच्‍चों को ध्‍यान करने और आत्‍मचिंतन की आदत डालें। इससे वे मानसिक रूप से मजबूत और एकाग्र बनेंगे।

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दूसरों के लिए त्‍याग करना

भोलेनाथ ने हमेशा सृष्टि के उद्धार के लिए त्‍याग किया है। हलाहल पीना हो या माता सती के जाने के बाद संसार में संतुलन को बनाए रखना हो, भोलेनाथ ने हमेशा सृष्टि के कल्‍याण के लिए त्‍याग किया है। इससे बच्‍चों को यही सीखने को मिलता है कि दूसरों की मदद करनी चाहिए और निस्‍वार्थ सेवा भाव से काम करना चाहिए।
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लेखक के बारे में

पारुल रोहतगी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 9 वर्षों से अधिक अनुभव है। इन्‍होंने डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी काम किया हुआ है। वर्तमान में ये NBT के लाइफस्टाइल फैमिली सेक्शन में बतौर कंसल्टेंट काम कर रही हैं। इन्‍हें अलग-अलग विषयों पर लिखना और अपने लेखों से लोगों को जानकारी देना पसंद है। इन्‍हें हेल्‍थ, एस्‍ट्रोलॉजी, लाइफस्टाइल, टेक आदि सेक्‍शन पर लिखने का अनुभव भी है। खाली समय में इन्‍हें किताबें पढ़ना और नई टेक्नोलॉजी को सीखना पसंद है।... और पढ़ें

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Donald Trump Russia Ukraine War

 

Donald Trump Russia Ukraine War,जेलेंस्की को फटकार, नाटो की सदस्यता नहीं, हथियारों की सप्लाई बंद.. क्या डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को बना दिया यूक्रेन युद्ध का विजेता? - has donald trump declare russia winner of ukraine war how america's changed policy torn ukraine

जेलेंस्की को फटकार, नाटो की सदस्यता नहीं, हथियारों की सप्लाई बंद.. क्या डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को बना दिया यूक्रेन युद्ध का विजेता?

Curated byअभिजात शेखर आजाद | नवभारतटाइम्स.कॉम 21 Feb 2025, 1:53 pm

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ऐसा लग रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन में युद्ध का फैसला अपने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पक्ष में कर दिया है। रियाद वार्ता से यूक्रेन को बाहर रखना, राष्ट्रपति जेलेंस्की को निशाना बनाना और कथित तौर पर अमेरिका द्वारा कीव को हथियारों की आपूर्ति रोकना, ये सभी संकेत पर्याप्त हैं। रूस अब यूक्रेन के 20% क्षेत्र को नियंत्रित करता है और उसने इसकी नाटो सदस्यता को रोक दिया है।

हाइलाइट्स

  • 24 फरवरी 2022 को रूस ने किया था यूक्रेन पर हमला
  • यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे, 24 फरवरी से चौथा साल शुरू
  • तीन सालों के युद्ध में यूक्रेन के 20% हिस्से पर रूस का कंट्रोल
russia-ukraine-war.
यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे

वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप का शांति प्रस्ताव लागू हुआ तो यूक्रेन कई हिस्सों में बंट जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावों को देखें तो साफ पता चलता है कि उन्होंने यूक्रेन युद्ध का आखिरी विजेता रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बना दिया है। इस शांति प्रस्ताव में यूक्रेन कहीं नहीं हैं और राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की 'कोने में फंसे चूहे' की तरह बताए जा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को तानाशाह कहकर फटकार लगाई और साफ शब्दों में धमकी दी, कि 'शांति प्रस्ताव पर आगे बढ़ें नहीं तो उनके पास कोई देश नहीं बचेगा।' ट्रंप ने साफ कर दिया है कि जिस हिस्से पर अब रूस का कब्जा है वो यूक्रेन हासिल नहीं कर पा पाएगा। यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाया जाएगा। रूस ने यूक्रेन के लगभग 20% क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रुसेल्स में नाटो ऑफिस में यूक्रेन के सैन्य सहयोगियों की एक बैठक में अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा, कि "हम भी आपकी तरह एक संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन चाहते हैं। लेकिन हमें यह पहचान करने की शुरुआत करनी चाहिए, कि यूक्रेन की 2014 से पहले की सीमाओं पर वापस लौटना एक अवास्तविक मकसद है।" 2014 में भी रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था और उससे क्रीमिया क्षेत्र को छीन लिया था। जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान लगातार यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई की जा रही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसे अब बंद कर दिया गया है। जिसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। कीव पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन के एक सांसद ने कहा कि अमेरिका से हथियारों की आपूर्ति रोक दी गई है। हालांकि, रिपोर्ट में एक अन्य सांसद ने उनकी बात का खंडन किया है।

रूस से युद्ध में हार गया यूक्रेन?
यूक्रेन के रक्षा और खुफिया मामलों पर संसदीय पैनल में शामिल सांसद रोमन कोस्टेंको ने कहा कि यूक्रेन को हथियारों की बिक्री और डिलीवरी में शामिल कुछ अमेरिकी कंपनियां अब राजनीतिक फैसलों का इंतजार कर रही हैं। कोस्टेंको ने एक इंटरव्यू में कहा है कि "मेरी जानकारी के मुताबिक बेचे जाने वाले हथियारों की डिलीवरी बंद हो गई है। जिन कंपनियों को इन हथियारों को यहां भेजना था वे अब इंतजार कर रही हैं, क्योंकि कोई फैसला नहीं हुआ है।" अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसी महीने रियाद में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ उच्चस्तरीय बैठक की है, जिसमें यूक्रेन या यूरोप को शामिल नहीं किया गया।


पूर्व रूसी राष्ट्रपति और अब रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने यूक्रेन को एक नाकाम राज्य कहकर आग में घी डालने का काम किया। जेलेंस्की का जिक्र करते हुए मेदवेदेव ने कहा कि "चूहा कोने में फंस गया है"। यूक्रेन अब यूरोप का चेहरा निहार रहा है जिसकी हिम्मत उसे बचाने की नहीं है। यूरोप पहले से ही कमजोर और विभाजित है। जिसके बाद जेलेंस्की ने रूस के साथ कब्जा किए गये क्षेत्रों को बदलने की पेशकश की है। यूक्रेन के सैनिकों ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है। जबकि रूस ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों डोनेट्स्क, खार्किव, खेरसॉन, लुहांस्क पर रूस का कब्जा है।

जेलेंस्की पर रूस और डोनाल्ड ट्रंप का निशाना
डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को तानाशाह बताते हुए कहा, कि "वह चुनाव कराने से इनकार करते हैं, यूक्रेनी पोल में उनका प्रदर्शन बहुत कम है, और एकमात्र चीज जिसमें वह अच्छे हैं, वह है बाइडेन को "बाजे की तरह बजाना। बिना चुनाव के तानाशाह, जेलेंस्की के लिए बेहतर होगा कि वह जल्दी से आगे बढ़ें, अन्यथा उनके पास कोई देश नहीं बचेगा।" डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि अगर यूक्रेन ने पहले बातचीत की होती तो उसे युद्ध से बचाया जा सकता था। डोनाल्ड ट्रंप की ये टिप्पणी को सुन ऐसा लगता है कि मानो इसे रूस ने लिखकर दिया हो। अमेरिकी नेताओं ने ट्रंप को व्लादिमीर पुतिन का सहयोगी बताना शुरू कर दिया है। सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने एक वीडियो संदेश में कहा कि "हम अमेरिकी इतिहास में एक बहुत ही दुखद क्षण देख रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति यूक्रेन की स्वतंत्रता और उसके लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए रूस के तानाशाह व्लादिमीर पुतिन के साथ खुद को जोड़ रहे हैं।"

स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने भी इस बयान के लिए ट्रंप की निंता की, जबकि जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक ने इस टिप्पणी को "हास्यास्पद" बताया। जबकि जेलेंस्की ने दावा किया कि रूसी आक्रमण के बाद यूक्रेन में मॉर्शल लॉ लगाना जरूरी था। उन्होंने ट्रंप और मेदवेदेव पर बेईमानी का आरोप लगाया, जिन्होंने कहा है कि मार्शल लॉ के कारण ही यूक्रेन में चुनाव नहीं हो रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को बातचीत से पूरी तरह से अलग रखा है। संघर्ष से तबाह होने के बावजूद यूक्रेन बातचीत की टेबल पर नहीं है। ये ठीक वैसा ही है जैसे पोलैंड और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों को याल्टा से बाहर रखा गया है। दोनों ही मामलों में, मजबूत राष्ट्र अपने भाग्य का फैसला कर रहे हैं और छोटे राष्ट्रों के अधिकारों और विकल्पों के प्रति उनमें कोई चिंता नहीं है।

लेखक के बारे में

अभिजात शेखर आजाद, बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और पिछले 15 सालों से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। ज़ी मीडिया समेत कई नामी संस्थानों काम कर चुके हैं। जियो-पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करने का लंबा अनुभव है। NBT में दुनिया डेस्क पर कार्यरत हैं और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर पर लिखते हैं।... और पढ़ें

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Un Resolution Ukraine War Us Russia India,

 

Un Resolution Ukraine War Us Russia India,संयुक्त राष्ट्र में रूस के पक्ष में खड़ा हुआ अमेरिका, यूक्रेन का समर्थन करने से किया इनकार, जानें भारत ने लिया किसका पक्ष - ukraine war us take russian side in united nations trump refuse to support kyiv know india with who

संयुक्त राष्ट्र में रूस के पक्ष में खड़ा हुआ अमेरिका, यूक्रेन का समर्थन करने से किया इनकार, जानें भारत ने लिया किसका पक्ष

Curated byविवेक सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 25 Feb 2025, 7:01 am

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यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये पहली बार है जब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के अंदर कीव को समर्थन देने से इनकार कर दिया। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध पर एकदम नया रुख अपनाया है। उन्होंने अपने यूरोपीय सहयोगियों को अलग-थलग करते हुए रूसी राष्ट्रपति पुतिन से हाथ मिलाया है।

हाइलाइट्स

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस और अमेरिका आए एक साथ
  • यूक्रेन युद्ध के खिलाफ प्रस्ताव का अमेरिका ने किया विरोध
  • अमेरिका ने यूक्रेन का समर्थन करने से किया इनकार
UNGA Ukraine war
अमेरिकी विरोध के बावजूद प्रस्ताव पास हो गया

न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को यूक्रेन युद्ध पर एक नया रुख अपनाया, जब वॉशिंगटन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये पहली बार है जब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के अंदर कीव को समर्थन देने से इनकार कर दिया। संघर्ष के तीन साल पूरे होने पर यूरोपीय समर्थन वाले प्रस्ताव को महासभा ने 93 वोटों के साथ स्वीकार कर लिया। लेकिन अमेरिका के प्रस्ताव का विरोध करने की चर्चा सबसे ज्यादा है, जो ट्रंप के नेतृत्व में वॉशिंगटन की विदेश नीति में बड़े बदलाव को दर्शाता है।प्रस्ताव के खिलाफ 18 सदस्य देशों ने मतदान किया, जबकि 65 सदस्यों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। वॉशिंगटन ने मतदान के दौरान मॉस्को और रूस के सहयोगियों उत्तर कोरिया और सूडान जैसे देशों का साथ दिया। नए पारित प्रस्ताव में युद्ध में कमी लाने, शत्रुता को शीघ्र समाप्त करने और यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान करने का आह्वान किया गया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप नागरिक आबादी समेत भारी विनाश और मानवीय पीड़ा शामिल है।

भारत ने लिया किसका पक्ष ?

यह प्रस्ताव यूक्रेन के लिए जीत के रूप में सामने आया है, लेकिन यह कीव के कम होते समर्थन को भी दिखाता है। इसे पिछले प्रस्तावों की तुलना में बहुत कम समर्थन मिला है। वहीं, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत उन 65 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में शामिल था, जिन्होंने प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया।


अमेरिका ने पेश किया अलग प्रस्ताव

इस बीच अमेरिका ने भी एक प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव तैयार किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र में रूसी राजदूत ने सही दिशा में एक कदम कहा था। लेकिन वॉशिंगटन के सहयोगी फ्रांस ने अमेरिकी पाठ में संशोधन पेश किया और महासभा को बताया कि पेरिस, ब्रिटेन समेत अन्य यूरोपीय देशों के साथ मौजूदा स्वरूप में इसका समर्थन नहीं कर पाएगा।


अपने ही पाठ से पीछे हटा अमेरिका

इन देशों ने अमेरिकी पाठ को फिर से लिखने के लिए दबाव डाला। इन परिवर्तनों ने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की, जिसे अमेरिकी पाठ से हटा दिया गया था। अमेरिकी प्रस्ताव में इतना अधिक संशोधन किया गया कि वॉशिंगटन ने आखिरकार अपने खुद के पाठ पर मतदान से परहेज किया, जबकि सभा ने इसे पास कर दिया।

लेखक के बारे में

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जनपद से ताल्लुक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई के बाद अमर उजाला डिजिटल के साथ करियर की शुरुआत की. अमर उजाला के बाद न्यूज 18 यूपी/उत्तराखंड, आवाज न्यूज वीडियो एप, वन इंडिया और एबीपी न्यूज डिजिटल में काम किया. वर्तमान में नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में इंटरनेशनल डेस्क पर कार्यरत हूं. देश की राजनीति पर भी लिखने में रुचि है.... और पढ़ें

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